उस कमरे से भी ऐसा रिश्ता होगा,
इस बात का एहसास था कहाँ,
व़ोह किताबें, व़ोह जंगला, व़ोह पोस्टर,
सब कुछ वैसा ही है यहाँ ...
एक कमरा तो आखिर एक कमरा होता है,
दीवारें, खिड़की, परदे, मेज़ और अलमारी,
इनसे जज़्बात का क्या ताल्लुक.
खैर, अब मुझे इल्म हुआ,
कई दफा कमरा भी हो सकता है हावी ...
काफी मर्तबा यह कमरा
एकाएक बढा हो जाता है,
मेरी आँखों में घूरता है.
और काटने को दौड़ता है ....